यह दिलचस्प बात है कि भारतीय डाक को कई मौकों पर गांधीजी को लिखी चिट्ठियों के नाते काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। गांधीजी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया लिख कर आते थे और पहुंच भी जाते थे। सेवाग्राम, वर्धा में उनके पास तमाम ऐसी चिट्ठियां पहुंची जिन पर महात्मा गांधी, इंडिया या महात्मा गांधी, जहां कहीं हो जैसे पते से आती थी। लेकिन वे देश के जिस कोने में होते थे डाक विभाग उस पत्र को वहां पहुंचा देता था। एक बार १६ साल की स्पेन की एक तरूणी मेरी ने उनको एक चिट्टी लिखी जिस पर पता लिखा - तीन बंदरों के सरदार, लंगोट वाले बाबा को, जो हाथ में छड़ी रखते हैं और लकड़ी की चप्पलें पहनते हैं। उसने चिट्ठी में गांधीजी से निवेदन किया कि वे लिफाफे पर लिखे पते का मजाक नहीं उड़ाएंगे और अपना सही पता लिख जवाब देंगे। डाकिया ने यह गांधीजी तक पहुंचाया तो पहले गांधीजी खूब हंसे लेकिन जवाब भी लिखा।
डाकिया ने यह गांधीजी तक पहुंचाया तो पहले गांधीजी खूब हंसे लेकिन जवाब भी लिखा